श्री श्री 1008 पाबूजी महाराज
झोपरा धाम (कुआ धाम) पाबूजी महाराज की धामो में से एक धाम है।यह एक धर्म धाम है । जो की मरडाटू (सीकर) में है। जो भी यहाँ सच्ची लग्न से आता है और महाराज जी के आदेशानुसार चलता है उसे शत प्रतिशत फायदा मिलता है ।
झोपरा धाम (कुआ धाम) पाबूजी महाराज की धामो में से एक धाम है।यह एक धर्म धाम है । जो की मरडाटू (सीकर) में है। जो भी यहाँ सच्ची लग्न से आता है और महाराज जी के आदेशानुसार चलता है उसे शत प्रतिशत फायदा मिलता है ।
धाम के नियम :
- सभी भक्तजन धाम में आपस में प्रेम से रहे ।
- सभी भक्तजन आरती में सम्मलित हो ।
- किसी जात्री को ज्यादा परेशानी हो तो उसके अभिभावक (साथ आने वाले) धाम से कण-भभूती प्राप्त कर ले और उसे आरती की ज्योत अवश्य दिखाए ।
- यहाँ पर भजन करने, माता जी के मंदिर फेरिया लगाने और धाम को साफ-सुथरा रखने वाले को ही फायदा मिलता है ।
- मास-मदिरा का सेवन न करें । महाराज जी को न्याव के समय हमेशा सत्य ही बताएं ।
- रात्री में कोई जात्री धाम पर भूखा न सोये (अगर किसी के पास खाने के लिए भोजन-सामग्री की व्यवस्था न हो तो वह धाम से भोजन-सामग्री प्राप्त कर ले परन्तु भूखा न सोये)।
location map:धाम पर आने का रास्ता :-
सालासर (चुरू ) से फतेहपुर(सीकर) वाली बस से आप को मरडाटू (सीकर) आना होगा इसके बाद आपको 2-3 किलोमीटर पैदल चलना होगा या फिर आप किराये की गाड़ी भी कर सकते हो |
सालासर (चुरू ) से फतेहपुर(सीकर) वाली बस से आप को कारंगा छोटा आना होगा । इसके बाद आपको लगभग 3 किलोमीटर पैदल चलना होगा । यह बस 8 बजे से 6 बजे तक हर 1 घंटे में आपको मिल जाएगी ।
आपकी सुविधा के लिए यहाँ पर धाम का नक्सा दिया जा रहा है।
DHAM KA MAP: (please click here)
धाम की तस्वीरे निचे दिखाई जा रही है :
पाबूजी महाराज का मंदिर |
भक्तजन भजन -कीर्तन करते हुए
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महाराज जी न्याव देते हुए
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श्री झोपड़ा धाम
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महाराज जी
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जय श्री रामदेवजी महाराज री
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जय श्री हुकम सिंह बाबोसा री
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जय श्री रूपनाथ जी महाराज री |
जय श्री राम जय श्री श्याम बाबा री |
जय श्री पाबूजी महाराज री
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जय माँ शेरावाली की |
PABUJI MAHARAJ (please click here)
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आरती संग्रह
कर्पूरगौरं करुणावतारंसंसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्देभवं भवानीसहितं नमामि ॥
आरती श्री दुर्गा माताजी की
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥
****
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ टेक ॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदको ।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ॥ जय 0
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥ जय0
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनिजन सेवक, तिनके दुखहारी ॥ जय 0
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥ जय 0
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ जय 0
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।
मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ जय 0
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ जय 0
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ॥ जय 0
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।
भक्तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥ जय 0
भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्परधारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ जय 0
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥ जय 0
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥ जय 0
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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ टेक ॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदको ।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ॥ जय 0
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥ जय0
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनिजन सेवक, तिनके दुखहारी ॥ जय 0
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति ॥ जय 0
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ जय 0
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।
मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ जय 0
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ जय 0
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरुं ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु ॥ जय 0
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।
भक्तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ॥ जय 0
भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्परधारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ जय 0
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति ॥ जय 0
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै ॥ जय 0
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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ……
जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का ।
सुख संपत्ति घर आवे , कष्ट मिटे तन का ॥ ॐ……
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी ॥ ॐ ……
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॐ ……
तुम करूणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥ ॐ ……
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपती ।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमती ॥ ॐ ……
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे ।
करूणा हस्त उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॐ ……
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥ ॐ ……
श्री जगदीश जी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे ॥ ॐ ……
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आरती श्री माँ झाड़ी ज्वाला
ॐ जय झाड़ी ज्वाला , मैया जय झाड़ी ज्वाला ।
भक्तजनों की रक्षा करिये , करिये प्रतिपाला ।। ॐ ..
जग मग ज्योत आरती होती , झालर झनकारा ।
साज बात रंग राग छतिसो , जय जय जयकारा ।। ॐ ..
जरीक सबसे रेशमी है साड़ी , अंगिया अंग सोहे ।
रूप अनूप महिमा शक्तियां , तीन लोक मोहे ।। ॐ ..
हार श्रृंगार गलसरी है गल में , कर कंगन वाली ।
पायल बिछिया पग में धारना , माँ नथ बेसर वाली ।। ॐ ..
शेर सवारी चढ़ी जगदम्बा , खड्ग खपरधारी ।
दानव दुष्ट दले पलमाही , भक्तन हितकारी ।। ॐ ..
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पर , माई न याद करी ।
ऋषि मुनि संत माँ , पल पल में आन करी ।। ॐ ..
आदि जुगादी महिमा शाली , तु गौरी काली ।
निराकार साकार भवानी , सबसे है आली ।। ॐ ..
ब्रह्मा विष्णु महेश मनावे , सब ऋषि मुनि ध्यावे ।
आदि अन्त का पार नहीं तेरा , चारो वेद गावे ।। ॐ ..
मलूसिंह थारी गावे आरती , अज्ञानी बाला ।
भीमसिंह थारी गावे आरती , अज्ञानी बाला ।
घट के पट दे खोल भवानी , करदे उजियाला ।। ॐ ..
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ॐ जय लक्ष्मण देवा , स्वामी जय लक्ष्मण देवा।
श्री पाबुपाल जी री करा आरती , सत सारु सेवा ।। ॐ ..
कुम्भ कलश गंगाजल ल्यावे , ध्यान स्नान करो ।
पुष्प माल पहरो गल माही , मस्तक पाग धरो ।। ॐ ..
अंग अंगरखी वस्त्र सोहे , केशरिया बागो ।
कर में कमल कटारी , संग में भालो थे राखो ।। ॐ ..
कोलूमंड में चढ़े पालजी , केशर असवारी ।
झोपड़ा धाम पर आज विराज्या , श्री पाबूजी तपधारी ।। ॐ ..
झालर शंख नगाड़ा बाजे , शोभा अति भारी ।
झोपड़ा धाम पर नोपत बाजे , मन्दिर मझधारी ।। ॐ ..
गूगल धूप देवालय खेवां , गऊ घृत धारा ।
नारियल डोडा लूंग सुपारी , उज्जवल फल सारा ।। ॐ ..
दास करे अरदास हाजरी , मेरी लिख लिज्यो ।
थारे चरणां में राखो नाथ , म्हारी लज्जा रख लिज्यो ।। ॐ ..
चाकर राखों चरण कमल रो , रोज करूं पूजा ।
आप ही मात पिता मेरे स्वामी , और नहीं दूजा ।। ॐ ..
जो नर धयावे गावे आरती , पावे फल मेवा ।
मलूसिंह कहे भव से तारों , नैया के खेवां ।।
भीमसिंह कहे भव से तारों , नैया के खेवां ।। ॐ ..
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केसर कुदाई कुण्डिये , माथे जसरो मोर ।
भीड़ पड्यां सहाय करे , श्री रणबाप राठौर ।।
केसर घोड़ी कालवी , मोतिया जड़ी लगाम ।
चढ़ भाल्याला निसरा , थाने दुनिया करे प्रणाम ।
बोली चाल कनोज की , तन केसरिया साथ ।
चढवा न घोड़ी कालवी , जय श्री पाबूजी महाराज ।।
आवड़ दुहि भाटिया , कानेरी गोड़ास ।
श्री बरवड़ सिसोदिया , श्री करणी राठौर ।।
सविपुल बलयुक्त देव देवेषु पूज्य ।
दनुदलन मुख्य धर्म कार्य प्रलंग्राम ।।
विलसति मरू भूमि कीर्ति व्याख्या चम्ष्टा ।
जगति नमन योग्य पाबुपाल नमामि ।।
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श्री पाबू जी महाराज का पाठ भजन
( पड़ )
आप यहाँ से पाबूजी महाराज की पड़ के भाग सुन और प्राप्त कर सकते हो ।
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